Aranya Kand - Shri Ramcharitmanas

अरण्य कांड रामचरितमानस का तीसरा अध्याय है, जो 16वीं सदी के कवि तुलसीदास द्वारा रचित रामायण का काव्यात्मक पुनर्कथन है। यह श्रीराम, उनकी पत्नी सीता और उनके भाई लक्ष्मण के चौदह वर्ष के वनवास का वर्णन करता है। अरण्य कांड प्रेम और आध्यात्मिक ज्ञान से भरा है, और इसे रामायण के सबसे महत्वपूर्ण भागों में से एक माना जाता है। अरण्य कांड दृढ़ता की कहानी है। यह हमें सिखाता है कि सबसे कठिन समय में भी हमें शक्ति और आशा मिल सकती है।

अरण्य कांड की कुछ प्रमुख घटनाएँ इस प्रकार हैं:

  • राम, सीता और लक्ष्मण अयोध्या छोड़कर दंडकारण्य में प्रवेश करते हैं।
  • वे राक्षसी शूर्पणखा से भिड़ते हैं, जो राम और लक्ष्मण को बहकाने की कोशिश करती है।
  • राम और लक्ष्मण ऋषि अगस्त्य से मिलते हैं, जो उन्हें वन में रहने के बारे में सलाह देते हैं।
  • वे पंचवटी में एक आश्रम बनाते हैं और वहाँ कुछ समय के लिए शांति से रहते हैं।
  • राक्षस राज रावण सीता को देखता है और उसका दीवाना हो जाता है।
  • रावण छल से राम को आश्रम से दूर ले जाता है और सीता का अपहरण कर लेता है।
  • जटायु, एक बूढ़ा गिद्ध, रावण को रोकने की कोशिश करता है लेकिन मारा जाता है।
  • राम और लक्ष्मण सीता को खोजने के लिए निकल पड़े।

  1. मंगलाचरण
  2. जयंत की कुटिलता और फल प्राप्ति
  3. अत्रि मिलन एवं स्तुति
  4. श्री सीता-अनसूया मिलन और श्री सीताजी को अनसूयाजी का पतिव्रत धर्म कहना
  5. श्री रामजी का आगे प्रस्थान, विराध वध और शरभंग प्रसंग
  6. राक्षस वध की प्रतिज्ञा करना, सुतीक्ष्णजी का प्रेम, अगस्त्य मिलन, अगस्त्य संवाद
  7. राम का दंडकवन प्रवेश, जटायु मिलन, पंचवटी निवास और श्री राम-लक्ष्मण संवाद
  8. शूर्पणखा की कथा, शूर्पणखा का खरदूषण के पास जाना और खरदूषणादि का वध
  9. शूर्पणखा का रावण के निकट जाना, श्री सीताजी का अग्नि प्रवेश और माया सीता
  10. मारीच प्रसंग और स्वर्णमृग रूप में मारीच का मारा जाना, सीताजी द्वारा लक्ष्मण को भेजना
  11. श्री सीताहरण और श्री सीता विलाप
  12. जटायु-रावण युद्ध, अशोक वाटिका में सीताजी को रखना
  13. श्री रामजी का विलाप, जटायु का प्रसंग, कबन्ध उद्धार
  14. शबरी पर कृपा, नवधा भक्ति उपदेश और पम्पासर की ओर प्रस्थान
  15. नारद-राम संवाद
  16. संतों के लक्षण और सत्संग भजन के लिए प्रेरणा